Jazbaa

जाता है तूं कहाँ यूं मुह मोड़ के
आधे रस्ते से मैदान छोड़ के
इन मुश्किलों से जो हार मानेगा
जितने के जज्बों को वो कैसे जानेगा

आसानियों की छाव मैं जो पलें
लहरों के दम पे नाव जिसकी चले
रह जायेगा वो इक दिन तूफ़ान मै
खोकले तजुर्बे मैं और झूटे गुमान मै

(तेरी जिंदगी है, तू ना बना बहाने)
(धोका किसे देता उपरवाला सब जाने)
(किसीने कहा है की डर के आगे जीत है)
(तुझे बस करना है भरोसा खुद पर)
(और डरना ना, फिकर करना ना)
(क्यों की डर तू गया तो समझो मर तू गया)
(और मरे हुए आदमी ने कभी कुछ किया है क्या?)

घर बैठे बैठे सबकुछ था मिलता
फिर कोई क्यों भला कुछ कर गुज़रता
किस्मत उसीके है जो उसे सवारता
वक्त है उसीका जो मुश्किलों को ललकारता

(तेरी जिंदगी है, तू ना बना बहाने)
(धोका किसे देता उपरवाला सब जाने)
(किसीने कहा है की डर के आगे जीत है)
(तुझे बस करना है भरोसा खुद पर)
(और डरना ना, फिकर करना ना)
(क्यों की डर तू गया तो समझो मर तू गया)
(और मरे हुए आदमी ने कभी कुछ किया है क्या...)



Credits
Writer(s): Vasuda Sharma
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