Laal Syahi (From "Mango Talkies")

है मुज़रिमों सी रूह इसे रोक ना सकूँ
क़ैद है जो कहीं सीने में, सीने में
क़तरा-क़तरा ज़हर ये, पत्थरों का शहर
दम घुटे है खुदा जीने में, जीने में

लाल स्याही से लिखी क्यूँ तूने तक़दीरें-तक़दीरें?
धुँधली दिखती क्यूँ साँसों की तस्वीरें-तस्वीरें?
बोल दे, खोलता क्यूँ नहीं ज़ंजीरें?
क्या तेरे कहे मैं नहीं ज़ंजीरें-ज़ंजीरें

ऐ खुदा, तू भी झूठा लागा, टूटता मन्नतों का धागा
तुझ तक दुआएँ क्यूँ जाती नहीं?
सर झुका के तेरे दर पे माँगा, ना मिला छिन के मैं भागा
आधी सज़ाएँ क्यूँ बाँटी नहीं?

तूने क्यूँ मुझको तराशा ना? तेरा भी था वो गुनाह
बस हार रही थी, पुकार रही मुरादें मेरी
तूने जब था ये जहाँ बुना, अँधेरों को बस चुना
ज़ख़्मी सी मिली, ढली ना कभी फिर रातें मेरी

लाल स्याही से लिखी क्यूँ तूने तक़दीरें-तक़दीरें?
धुँधली दिखती क्यूँ साँसों की तस्वीरें-तस्वीरें?
बोल दे, खोलता क्यूँ नहीं ज़ंजीरें?
क्या तेरे कहे मैं नहीं ज़ंजीरें-ज़ंजीरें



Credits
Writer(s): Shivang Mathur, Shayra Apoorva
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