Mann Kasturi

पाट ना पाया मीठा पानी
पाट ना पाया मीठा पानी
ओर-छोर की दूरी रे

मन कस्तूरी रे, जग दस्तूरी रे
मन कस्तूरी रे, जग दस्तूरी रे
बात हुई ना पूरी रे
मन कस्तूरी रे, जग दस्तूरी रे
बात हुई ना पूरी रे

खोजे अपनी गंध ना पावे
चादर का पैबंद ना पावे
खोजे अपनी गंध ना पावे
चादर का पैबंद ना पावे

बिखरे-बिखरे छंद सा टहले
दोहों में ये बंध ना पावे
नाचे हो के फिरकी लट्टू
नाचे हो के फिरकी लट्टू
खोजे अपनी धूरी रे

मन कस्तूरी रे
जग दस्तूरी रे
मन कस्तूरी रे
जग दस्तूरी रे
बात हुई ना पूरी रे
मन कस्तूरी रे, जग दस्तूरी रे
बात हुई ना पूरी रे

उमर की गिनती हाथ न आई
पुरखों ने ये बात बताई
उल्टा कर के देख सके तो
अम्बर भी है गहरी खाई

रेखाओं के पार नज़र को
जिसने फेंका अन्धे मन से
सतरंगी बाज़ार का खोला
दरवाज़ा बिन ज़ोर जतन के

फिर तो झूमा बावल हो के
फिर तो झूमा बावल हो के
सर पे डाल फितूरी रे

मन कस्तूरी रे
जग दस्तूरी रे
बात हुई ना पूरी रे
मन कस्तूरी रे, जग दस्तूरी रे
बात हुई ना पूरी रे

मन कस्तूरी रे
जग दस्तूरी रे
बात हुई ना पूरी रे

पाट ना पाया मीठा पानी(मन कस्तूरी रे)
जग दस्तूरी रे
मन कस्तूरी रे, जग दस्तूरी रे
मीठा पानी
बात हुई ना पूरी रे



Credits
Writer(s): Indian Ocean, Varun Grover
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