Tukde Tukde Gang ?

हलक से निकली बात, यहाँ JNU क्यूँ सस्ता है?
सवाल बनता तेरा private college में क्यूँ कटता?
सत्ता पे बैठे leech, fees से ग़रीब नोचें
यहाँ घूस देके पढ़ने वाले JNU पे भौंकें

झोंकें school पाताल में, मूर्ती आसमान में
संघर्ष का हर्ष, बैठी बग़ावत पे बेटी
आवाज़ आग का ताप, विरोध का हाव-भाव
कहती, "बहाव के साथ अक्सर लाशें हैं बहती"

तू मौन, बकरा, यौन यहाँ कटने की है आदत
सपनों में तुम्हारे इन गँवारों की लिखावट
और निज़ामत का चाय वाला पढ़ा-लिखा होता
तो इस हक़ की लड़ाई में तेरे साथ खड़ा होता, huh

चार गाड़ी वाला नेता free का राशन खाता क्यूँ?
उतरे हैं सड़क पे क्यूँ AIIMS, IIT, BHU?
उत्तराखंड की आयुर्वेदिक college में बवाल है
वहाँ सफ़ेद कुर्ते में नेता बन बैठे दलाल हैं

यहाँ एक नेता Einstein की gravity पे अटका है
एक बोले, "मोर आँसू पी के बच्चे करता है"
एक गाय का मूत पिला के करता cancer ठीक
खुद होता जब बीमार तो AIIMS में जा के मरता है

ये टुकड़े-टुकड़े कौन हैं? जो शिक्षा के दलाल हैं
ये टुकड़े-टुकड़े कौन हैं? बिकाऊ पत्रकार हैं
ये टुकड़े-टुकड़े कौन? बलात्कार पे मौन
चौकीदार का है भेस, पर गोडसे की कौम हैं

ये टुकड़े-टुकड़े कौन हैं? जो देश को बँटवाते हैं
ये खुद की औलादों को विदेश में पढ़ाते हैं
ये हक़ की लड़ाई में यहाँ लाठियाँ चलवाते हैं
और अनपढ़ों को यहाँ बेटा भक्त बनाते

क्या ख़ाक तरक्की करेगा मेरा देश ये
किसान लटके हैं खेत पे, लड़की मरती है rape से
बलात्कार करने वाले मंत्री घूमें परदेश में
और ५६ inch का सीने वाला घूमे विदेश में

यहाँ हाल है बेहाल, पत्रकार हैं वेताल
मलाल की ये बात बेमिसाल, तुम हराम हो
ज़हन की ये बात एक पंक्ति में बयाँ करूँ
तो, my dear friend, तुम कड़वे हो, दलाल हो

PhD पे कन्हैया की लोगों को सवाल है
खुद के नेता ने पास किया M.A. ३३ साल में
और media तो मौजी की गोदी में सोती है
कुत्तों के चाटने की भी सीमा होती है

Fake degree वाले बेटा तुझ को क्या पढ़ाएँगे?
बनवाएँगे मंदिर और पकोड़े तलवाएँगे
भटकाएँगे मुद्दों से, सरकार ये लीचड़ है
कीचड़ में कमल नहीं, कमल ही कीचड़ है

ये टुकड़े-टुकड़े कौन हैं? जो शिक्षा के दलाल हैं
ये टुकड़े-टुकड़े कौन हैं? बिकाऊ पत्रकार हैं
ये टुकड़े-टुकड़े कौन? बलात्कार पे मौन
चौकीदार का है भेस, पर गोडसे की कौम हैं

ये टुकड़े-टुकड़े कौन हैं? जो देश को बँटवाते हैं
ये खुद की औलादों को विदेश में पढ़ाते हैं
ये हक़ की लड़ाई में यहाँ लाठियाँ चलवाते हैं
और अनपढ़ों को यहाँ बेटा भक्त बनाते हैं



Credits
Writer(s): Rahul Negi
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