Aadat Ban Gaye Ho - From "Luv U Turn"

धूप भी मेरी सुबह को तेरी मिली
स्याहियाँ मेरी शामों पे तेरी गिरी

हाँ, धूप भी मेरी सुबह को तेरी मिली
स्याहियाँ मेरी शामों पे तेरी गिरी

जिसके बिन जी ना सकूँ वो तलब बन गए हो
ये सफ़र जहाँ ख़त्म हो तुम वो हद बन गए हो

आदत बन गए हो, इबादत बन गए हो
तुम ही मेरी चाहत बन गए हो
आदत बन गए हो, इबादत बन गए हो
तुम ही मेरी चाहत बन गए हो

होंठ हों मेरे, पर बातें सारी हों तेरी
अश्क हों तेरे, पर आँखें सिर्फ़ हों मेरी
होंठ हों मेरे, पर बातें सारी हों तेरी
अश्क हों तेरे, पर आँखें सिर्फ़ हों मेरी

राहें मुझको जो मिली, तेरी तरफ़ लेके चली
जैसे हीर को हो मिली अपने राँझे की गली

माँगती हैं जो मेरी रातें वो सहर बन गए हो
रहना चाहूँ मैं जहाँ पे वो घर बन गए हो

आदत बन गए हो, इबादत बन गए हो
तुम ही मेरी चाहत बन गए हो
आदत बन गए हो, इबादत बन गए हो
तुम ही मेरी चाहत बन गए हो



Credits
Writer(s): Abhendra Kumar Upadhyay
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