Ek Raat

चुराया ही क्यूँ जब वो तोड़ना ही था?
दिल भी वो टूटा है जो मेरे पास नहीं
दिखाया ही क्यूँ जब मुँह मोड़ना ही था?
सीने में हवा तो है पर वो साँस नहीं

मेरे पास नहीं है कोई साथ नहीं है
जो बता दे मुझे बात ये ख़ास नहीं
दिल उदास सही है कोई आस नहीं है
पगली, आँखों की नमी है कोई बरसात नहीं

मैं भी ना जाने कहाँ खो गया था!
ज़िंदगी भी मुझसे ख़फ़ा हो गई
जिस दिन की इस दिल ने ख़ुद से मोहब्बत
तो ज़िंदगी भी तुझपे फ़िदा हो गई

मेरे पास नहीं है कोई साथ नहीं है
और ना है अब किसी का इंतज़ार नहीं
तेरे बारें में ना सोचूँ ऐसी रात नहीं है
पर तोड़े दिल मेरा, तेरी औक़ात नहीं



Credits
Writer(s): Vaibhav Rawat
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