Safar

दिल मेरा खोया खोया सा गुमसुम यूँ पड़ा था
हाथों में कल के कुछ सपनों का रंग था ज़रा सा
ये सड़क चल रही थी मायूस थकी सी
एक सितारा अचानक दिखा

हाँ पर वो तुम ही तो थे रौशनी में सने
तो मेरा ये सफर खिल गया
हाँ पर वो तुम ही तो थे रौशनी में सने
तो मेरा ये सफर खिल गया

दिल मेरा लिखता है पढ़ता है अब सौ किताबें
तुमसे जो मिलना है सपनों के तारों के आगे
पर सवाल कई हैं ये रुत जो नयी है
ज़रा कोहरा कोहरा लगा

आखिर में तुम ही तो थे रौशनी में सने
तो मेरा ये सफर खिल गया
आखिर में तुम ही तो थे रौशनी में सने
तो मेरा ये सफर खिल गया
हाँ हाँ हाँ तुम ही तो थे रौशनी में सने
तो मेरा ये सफर खिल गया



Credits
Writer(s): Santanu Ghatak
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