Pankh Tere

जो चाह रहे हो
क्या पा रहे हो?
खोयी सी मंज़ील की डोर
एक शर्त मिली है
खुद से लगी है
हारा था जो मन का चोर
सपनों के आगे जो जहां
उसमें हो तुम कहीं
दिल की बातों की चुप ज़ुबान
उसमें हो तुम कहीं

चल ना उड़ जायें
हवा से लड़ जायें
उलझे हैं ये पंख तेरे
उनको सुलझायें
जो बातें कर जायें
वो किस्से बन जायें
क्यूं उलझे हैं ये पंख तेरे

उनको सुलझायें

ना हारा है हमसे
ना जीता है मुझसे
खुद से है तेरी अब ये दौड़
एक शर्त मिली है
खुद से लगी है
हारा था जो मन का चोर
सपनों के आगे जो जहां
उसमें हो तुम कहीं

दिल की बातों की चुप ज़ुबान
उसमें हो तुम कहीं

चल ना उड़ जायें
हवा से लड़ जायें
उलझे हैं ये पंख तेरे
उनको सुलझायें
जो बातें कर जायें

वो किस्से बन जायें
क्यूं उलझे हैं ये पंख तेरे
उनको सुलझायें

चल कहीं
मेरे साथ
बेफिक्रे हैं हालात
जो जाता जाने दे
जो आता आने दे
सपनों के बादल में तू
खुद को घुल जाने दे
जो जाता जाने दे
जो आता आने दे

सपनों के बादल में तू
खुद को घुल जाने दे
घुल जाने दे, घुल जाने दे, घुल जाने दे, घुल जाने दे
घुल जाने दे, घुल जाने दे, घुल जाने दे, घुल जाने दे

चल ना उड़ जायें
हवा से लड़ जायें
क्यूं उलझे हैं ये पंख तेरे
उनको सुलझायें
जो बातें कर जायें
वो किस्से बन जायें
क्यूं उलझे हैं ये पंख तेरे
उनको सुलझायें



Credits
Writer(s): Deepak Rathore
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