Bikhra

टूट के बिखरा मैं इस कदर
जैसे साहिल पर मिट्टी का हो घर
टूट के बिखरा मैं इस कदर
जैसे हो बीते लमहों का ये असर

ऐसी भी हुई मुझ से क्या ख़ता?
किसी दर पे ना मुझ को मिली पनाह
ऐसी भी हुई मुझ से क्या ख़ता?
किसी दर पे ना मुझ को मिली पनाह

बस यही उम्मीद पे मैं हूँ जी रहा
मिलेगी किसी मोड़ पर जीने की वजह
ऐ खुदा, अब तू ही है रहनुमा
तू ही रहबर, सुन ले मेरी सदा

टूट के बिखरा मैं इस कदर
जैसे साहिल पर मिट्टी का हो घर

रातें मेरी तनहा हैं और तनहा है हर सहर
सदियों सा हर लमहा, तनहा है हर सफ़र

चाहूँ भी तो मैं मुस्का ना सकूँ
हाथों की लकीरों से और कितना लड़ूँ?
ऐ खुदा, अब तू ही है आसरा
कर दे बयाँ क्या है तेरी रज़ा

मेरे अश्कों से पूछो क्या मैंने खोया है
सुनकर मेरी कहानी...
सुनकर मेरी कहानी बादल भी रोया है

बस यही उम्मीद पे मैं हूँ जी रहा
मिलेगी किसी मोड़ पर जीने की वजह
ऐ खुदा, अब तू ही है रहनुमा
तू ही रहबर, सुन ले मेरी सदा



Credits
Writer(s): Yash Deshmukh, Shoaib Firozi, Imran Khan, Karan Patel
Lyrics powered by www.musixmatch.com

Link