Kaanch Ke

बदला नज़रिया है
नज़रें और नज़ारें हैं वहीं
कल की बातों पे आज हमको
क्यूँ आती है फिर भी अब हँसी?

दीवानेपन की इम्तिहाँ थे तुम
हाँ, खालीपन की भी दवा थे तुम
वो असर चाहतों के ना रहे

वादें तेरे-मेरे काँच के, पल-पल की धूप के, छाँव के
बिखरे हैं टूट के, ना सह सके वादें वो काँच के

होगे साथ तुम, होगी जब शाम-ए-ज़िन्दगी
नादाँ ख़ाब था नींद से जब आँखें खुली
ऐ काश के हम ख़ाब में ही जी लेते
पहलू में तेरे साँस आखरी भी लेते

लगा के ताने पलकों में हम-तुम
उन रास्तों पे हो जाते जो ग़ुम
जाग के किस जहाँ में आ गए

वादें तेरे-मेरे काँच के, पल-पल की धूप के, छाँव के
बिखरे हैं टूट के, ना सह सके वादें वो काँच के
वादें तेरे-मेरे काँच के, पल-पल की धूप के, छाँव के
बिखरे हैं टूट के, ना सह सके वादें वो काँच के



Credits
Writer(s): Neeraj Rajawat, Samira Koppikar
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