Ab To Hum Hain Aur Yeh Rusvaiyan

अब तो हम हैं और ये रुसवाइयाँ
अब तो हम हैं और ये रुसवाइयाँ
कौन समझे दर्द की...
कौन समझे दर्द की गहराइयाँ?
अब तो हम हैं और ये रुसवाइयाँ

हम तो कल तक आपका अरमान थे
हम तो कल तक आपका अरमान थे
आरज़ू थे, ज़िंदगी थे, जान थे

अब हमीं पर तोहमतें क्यूँ आइयाँ?
अब हमीं पर तोहमतें क्यूँ आइयाँ?
कौन समझे दर्द की...
कौन समझे दर्द की गहराइयाँ?
अब तो हम हैं और ये रुसवाइयाँ

बेसबब क्यूँ हो गए हमसे ख़फ़ा?
बेसबब क्यूँ हो गए हमसे ख़फ़ा?
उन फ़सानों की हक़ीक़त क्या भला

मान बैठे हों जिन्हें सच्चाइयाँ
मान बैठे हों जिन्हें सच्चाइयाँ
कौन समझे दर्द की...
कौन समझे दर्द की गहराइयाँ?
अब तो हम हैं और ये रुसवाइयाँ

कैसा शिकवा, क्या शिकायत, क्या गिला
है शायद यही वफ़ाओं का सिला

चल दिए वो, रह गईं...
चल दिए वो, रह गईं परछाइयाँ
अब तो हम हैं और ये रुसवाइयाँ
अब तो हम हैं और ये रुसवाइयाँ

कौन समझे दर्द की...
कौन समझे दर्द की गहराइयाँ?
अब तो हम हैं और ये रुसवाइयाँ
अब तो हम हैं और ये रुसवाइयाँ



Credits
Writer(s): Bashar Nawaz
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