Tanaji: Mitti Ka Farz

मिट्टी का फर्ज अदा
करने जो निकला था वो
तानाजी
छत्रपति की आन
रखने जो निकला था वो
तानाजी
मिट्टी का फर्ज अदा
करने जो निकला था
छत्रपति की आन
रखने जो निकला था

मन में ना डर था
जब हाथ में तलवार
और साथ में जब हो
भवानी आई तो ललकार

हर हर महादेव
जिंकणार एकमेव
हर हर महादेव
कायम लक्षात ठेव
हर हर महादेव
जिंकणार एकमेव
हर हर महादेव
कायम लक्षात ठेव

गड पे भगवा
चढाने आज निकला था
दुश्मन के हौसले को
गाड़ने जो निकला था वो
तानाजी जी रा जी जी रा
जी जी रा जी जी रा
जी जी रा जी जी रा
जी जी रा जी जी रा

जय भवानी
जय शिवाजी
जय भवानी
जय शिवाजी

लक्ष्य को पूरा करने
पहुंचे सब वीर वहा
दुश्मन अनजान था पर
था नहीं आसान
रात के सन्नाटे में
चुप चाप की चढ़ाई
ना रुके वो डर की उन्हें
थी ना पहचान
सबसे आगे चल रहा था
शेर हमारा
आज तो बस था
शिकार का इरादा
पहुंचते ही ऊपर
हल्ला बोल दिया उसने
शेर की दहाड़
चीर गयी आसमान

मिटटी में बहा लहू
मचा हाहाकार
पर साथ में जब हो
भवानी आई तो ललकार

हर हर महादेव
जिंकणार एकमेव
हर हर महादेव
कायम लक्षात ठेव
हर हर महादेव
जिंकणार एकमेव
हर हर महादेव
कायम लक्षात ठेव

प्राणो की आहुति
देने जो निकला था
आखरी दम तक
लढने जो निकला था वो
तानाजी जी रा जी जी रा
जी जी रा जी जी रा

अग्नि: शेषं ॠण: शेषं शत्रु शेषं तथैव च |
पुन: पुन: प्रवार्धेत तस्मात् शेषं न कारयेत ||



Credits
Writer(s): Nihar Shembekar
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