Mere Liye Tum Kaafi Ho

तेरी-मेरी ऐसी जुड़ गई कहानी
कि जुड़ जाता जैसे दो नदियों का पानी
मुझे आगे तेरे साथ बहना है

जाना तुम्हें तो है ये बात जानी
कि ये ज़िंदगी कैसे बनती सुहानी
मुझे हर पल तेरे साथ रहना है

तुम कुछ अधूरे से, हम भी कुछ आधे
आधा-आधा हम जो दोनों मिला दें
तो बन जाएगी अपनी एक ज़िंदगानी

ये दुनियाँ मिले, ना मिले हम को
खुशियाँ भगा देंगी हर ग़म को
तुम साथ हो, फिर क्या बाक़ी हो?

मेरे लिए तुम काफ़ी हो
मेरे लिए तुम काफ़ी हो
मेरे लिए तुम काफ़ी हो

एक आसमाँ के हैं हम दो सितारे
कि टकराते हैं, टूटते हैं बेचारे
मुझे तुमसे पर ये कहना है

चक्के जो दो साथ चलते हैं थोड़े
तो घिसने-रगड़ने में छिलते हैं थोड़े
पर यूँ ही तो कटते हैं कच्चे किनारे

ये दिल जो ढला तेरी आदत में
शामिल किया है इबादत में
थोड़ी खुदा से भी माफ़ी हो

मेरे लिए तुम काफ़ी हो
मेरे लिए तुम काफ़ी हो
मेरे लिए तुम काफ़ी हो

मेरे लिए तुम काफ़ी हो



Credits
Writer(s): Reegdeb Das, Vaibhav Shrivastava
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