Parchhayee

परछाई रौशनी में घुल गई है
बीती शाम दूर कहीं से लौट आई है

बादलों के परदों में ढूँढ़े
चाँदनी के खोये से लम्हे
चादरों पर लेटे हुए हैं

सुनते परिंदों के गीत
नींद और ख्वाबों के बीच
हूँ जो मैं तेरे क़रीब

गहराई ज़ुल्फ़ों की छा गई है
बर्फीली बूँदों में लिपटी परछाई है

बादलों के परदों में ढूँढ़े
चाँदनी के खोये से लम्हे
चादरों पर लेटे हुए हैं

सुनते परिंदों के गीत
नींद और ख्वाबों के बीच
हूँ जो मैं तेरे क़रीब



Credits
Writer(s): Aaditya Rakheja
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