Gori Thari Sundarta

गोरी थारी सुंदरता कईयाँ करूँ बखाँ?
गोरी थारी सुंदरता कईयाँ करूँ बखाँ?

स्वर्ग री परियाँ भी नाचे देख थारी शान
स्वर्ग री परियाँ भी नाचे देख थारी शान
तू अंजान छे आपाकाशु लागे म्हारी जान

मान, मान, मान
बात म्हारी मान

गोरी थारी, गोरी थारी सुंदरता
कईयाँ करूँ बखाँ?

मोहनी थारी चील सी आख्याँ, लाल गुलाबी होंठ छे
थारा लाल गुलाबी होंठ छे
चमकतो मुस्कातो मुखड़ो दिल पे लगावे चोट
चमकरियो शृङ्गार बिना थारा जोबनरो जहाँ

मान, मान, मान
बात म्हारी मान

अरे, गोरी थारी, गोरी थारी सुंदरता
कईयाँ करूँ बखाँ?

कसी छछोली गोरी थारा गदराया सा आँचल में
थारा गदराया सा आँचल में
पतली कमर में झूल रियो री घाघर चिक आँगन में
मन भटकाते मस्त काम ने लेवे म्हारी जान

मान, मान, मान
बात म्हारी मान

हे, गोरी थारी, गोरी थारी सुंदरता
कईयाँ करूँ बखाँ?



Credits
Writer(s): Hari Om Joshi
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