Kabhi Shaam Dhale (Unplugged)

तू नहीं है, मगर फिर भी तू साथ है
बात हो कोई भी, तेरी ही बात है
तू ही मेरे अंदर है, तू ही मेरे बाहर है

जब से तुझ को जाना है, मैंने अपना माना है
मगर आना इस तरह तुम कि यहाँ से फिर ना जाना

कभी शाम ढले तो मेरे दिल में आ जाना
कभी चाँद खिले तो मेरे दिल में आ जाना
कभी शाम ढले तो मेरे दिल में आ जाना
कभी चाँद खिले तो मेरे दिल में आ जाना

रात-दिन की मेरी दिलकशी तुम से है
ज़िंदगी की क़सम, ज़िंदगी तुम से है

तुम ही मेरी आँखें हो, सूनी तनहा राहों में
चाहे जितनी दूरी हो, तुम हो मेरी बाँहों में
मगर आना इस तरह तुम कि यहाँ से फिर ना जाना

कभी शाम ढले तो मेरे, हो...
कभी चाँद खिले तो मेरे दिल में आ जाना
कभी शाम ढले तो मेरे दिल में आ जाना
कभी चाँद खिले तो मेरे दिल में आ जाना
कभी शाम ढले तो मेरे दिल में आ जाना
कभी चाँद खिले तो मेरे दिल में आ जाना

रात-दिन की मेरी दिलकशी तुम से है
ज़िंदगी की क़सम, ज़िंदगी तुम से है

कभी शाम ढले तो मेरे दिल में आ जाना
कभी चाँद खिले तो मेरे दिल में आ जाना
कभी शाम ढले तो मेरे दिल में आ जाना
कभी चाँद खिले तो मेरे दिल में आ जाना



Credits
Writer(s): Naqash Haider
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