Na Mai Hu Na Tu

ज़िंदगी में मोड़ आया, कैसा?
मैं कैसे तुझको छोड़ पाया, ऐसा

मेरी औक़ात ना थी कि नाते तोड़ूँ
पर नातों में वो बात ना थी कि अपने छोड़ूँ
मेरी औक़ात ना थी कि नाते तोड़ूँ
पर नातों में वो बात ना थी कि अपने छोड़ूँ

क्या करूँ, चारा नहीं, अब ऐसे है जीना
अंज़ाने में ही सही, तूने ही सब छीना
ख़ाली हूँ मैं, अकेला हूँ मैं, पर ऐसे ही सुकूँ
शिकायतें अब होंगी नहीं, ना मैं हूँ ना तू

ज़िंदगी में मोड़ आया, कैसा?

सोचा था पा लिया तुझे, बस अब निभाता चलूँ
सबसे है पहले तू मेरी, सबको बताता चलूँ
कितनी शिद्दत दी तुझको, पर क्या ही पाया
तेरा किया-धरा कहाँ ले आया

ख़ुद को क्यूँ दे दिया तेरे हाथों में
घबरा के उठता हूँ मैं गहरी रातों में
ख़ाली हूँ मैं, अकेला हूँ मैं, पर ऐसे ही सुकूँ
शिकायतें अब होंगी नहीं, ना मैं हूँ ना तू

ज़िंदगी में मोड़ आया, कैसा?

अच्छा-भला था जी रहा, अब ख़ुद का बस ख़ुद पे ही ना चले
चाहे जितना भी कर लो किसी के लिए, सबको कम क्यूँ पड़े?
आशा थी कि तुझे मैं साथ ले चलूँ
तुझको गवाऊँ ख़ुद भी गाते चलूँ

छोड़ दी चाहतें पीछे मैंने सारी
ना चाहूँ कोई साथ अब, ना चाहूँ यारी
ख़ाली हूँ मैं, अकेला हूँ मैं, पर ऐसे ही सुकूँ
शिकायतें अब होंगी नहीं, ना मैं हूँ, ना मैं हूँ, ना...
ना मैं हूँ ना तू

ज़िंदगी में मोड़ आया, कैसा?



Credits
Writer(s): Mayur Nagpal
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