Na Manzoor

हर पल एक ज़माना लागे तेरे बिन
मुश्किल है समजाना अब तो हाल-ए-दिल
जिया जलता है ऐसे तेरे बिन
बेताबी लगती है जैसे महफ़िल

यादें तेरी सताती है, हो-ओ
जब भी ये मुझको आती है
नींदे मेरी उड़ाती है, हो-ओ
चैन मेरा चुराती है

ना मंज़ूर मुझे तुझसे रहना दूर
ना क़बूल मुझे, बता मैं क्या करूँ?
जान-ए-जाँ मेरा दिल मेरी माने ना कभी
आ के पास इसे समझा दे तू

ना मंज़ूर, ना मंज़ूर
ना मंज़ूर, ना मंज़ूर

तस्वीरों से बातें करूँ
जैसे तू हो मेरे अब रू-ब-रू
तू साथ हो अगर इन राहों पर
कर आँखें बंद मैं साथ चलूँ

है फ़ासलें जो कर दे ख़तम तू
इक़रार तुझसे आज करूँ
वादा है ये अब तुझसे सनम मैं
मरने तलक तेरे साथ रहूँ

काटती है ये दूरियाँ
कैसी है ये मजबूरियाँ? (मजबूरियाँ)
जीना फ़िज़ूल क्यों लगे? हो-ओ
इतना बिन तेरे रह लिया

ना मंज़ूर मुझे तुझसे रहना दूर
ना क़बूल मुझे, बता मैं क्या करूँ?
जान-ए-जाँ मेरा दिल मेरी माने ना कभी
आ के पास इसे समझा दे तू

ना मंज़ूर, ना मंज़ूर
ना मंज़ूर, ना मंज़ूर
ना मंज़ूर



Credits
Writer(s): Girish Ramesh Nakod
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