Hum Bewafa Hargiz Na Thay

हम बेवफ़ा हरगिज़ ना थे
पर हम वफ़ा कर ना सके
हम को मिली उस की सज़ा
हम जो ख़ता कर ना सके

हम बेवफ़ा हरगिज़ ना थे
पर हम वफ़ा कर ना सके

कितनी अकेली थी वो राहें हम जिन पे
अब तक अकेले चलते रहे
तुझ से बिछड़ के भी, ओ बेख़बर
तेरे ही ग़म में जलते रहे

तूने किया जो शिकवा
हम वो गिला कर ना सके

हम बेवफ़ा हरगिज़ ना थे
पर हम वफ़ा कर ना सके

तुम ने जो देखा-सुना सच था मगर
कितना था सच ये किस को पता
जाने तुम्हें मैंने कोई धोखा दिया
जाने तुम्हें कोई धोखा हुआ

इस प्यार में सच-झूठ का
तुम फ़ैसला कर ना सके

हम बेवफ़ा हरगिज़ ना थे
पर हम वफ़ा कर ना सके
हम को मिली उस की सज़ा
हम जो ख़ता कर ना सके

हम बेवफ़ा हरगिज़ ना थे
पर हम वफ़ा कर ना सके...



Credits
Writer(s): Anand Bakshi, R. D. Burman
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