Aisi Bhakti Nahi Jagat Mein
(राम, जय राम, राम, जय राम)
(राम, जय राम, श्री राम)
ऐसी भक्ति नहीं जगत में जैसी है हनुमान की
ऐसी शक्ति नहीं जगत में जैसी है हनुमान की
जय, जय, जय, हनुमान की, जय पवन पुत्र भगवान की
जय, जय, जय, हनुमान की, जय पवन पुत्र भगवान की
(ऐसी भक्ति नहीं जगत में जैसी है हनुमान की)
(ऐसी शक्ति नहीं जगत में जैसी है हनुमान की)
जितने मंदिर राम के जग में, सब में श्री हनुमान हैं
जितने मंदिर राम के जग में, सब में श्री हनुमान हैं
सेवक श्री हमुमान को देखो, वो भी श्री भगवान हैं
चीर के छाती दर्शन दींहा, कथा सुनो बलवान की
ऐसी भक्ति नहीं जगत में जैसी है हनुमान की
ऐसी शक्ति नहीं जगत में जैसी है हनुमान की
जय, जय, जय, हनुमान की, जय पवन पुत्र भगवान की
जय, जय, जय, हनुमान की, जय पवन पुत्र भगवान की
ऐसी भक्ति नहीं जगत में जैसी है हनुमान की
ऐसी शक्ति नहीं जगत में जैसी है हनुमान की
(राम, जय राम, राम, जय राम)
(राम, जय राम, श्री राम)
जिनके हिये श्री राम-लखन हैं, संग साथ सिय माता
जिनके हिये श्री राम-लखन हैं, संग साथ सिय माता
रोम-रोम में राम बसे हैं, सकल सृष्टि के ज्ञाता
स्वामी की भक्ति में बंदे, नहीं जगह अभिमान की
ऐसी भक्ति नहीं जगत में जैसी है हनुमान की
ऐसी शक्ति नहीं जगत में जैसी है हनुमान की
जय, जय, जय, हनुमान की, जय पवन पुत्र भगवान की
जय, जय, जय, हनुमान की, जय पवन पुत्र भगवान की
(ऐसी भक्ति नहीं जगत में जैसी है हनुमान की)
(ऐसी शक्ति नहीं जगत में जैसी है हनुमान की)
सेतु नहीं था, निज शक्ति से लंका में सिय को पाया
सेतु नहीं था, निज शक्ति से लंका में सिय को पाया
अभिमानी रावण को पटका, परम बली को समझाया
हुल पहाड़ ले उड़े, कथा ये प्रेम, भक्ति, सम्मान की
ऐसी भक्ति नहीं जगत में जैसी है हनुमान की
ऐसी शक्ति नहीं जगत में जैसी है हनुमान की
जय, जय, जय, हनुमान की, जय पवन पुत्र भगवान की
जय, जय, जय, हनुमान की, जय पवन पुत्र भगवान की
(ऐसी भक्ति नहीं जगत में जैसी है हनुमान की)
(ऐसी शक्ति नहीं जगत में जैसी है हनुमान की)
जय, जय, जय, हनुमान की, जय पवन पुत्र भगवान की
जय, जय, जय, हनुमान की, जय पवन पुत्र भगवान की
ऐसी भक्ति नहीं जगत में जैसी है हनुमान की
ऐसी शक्ति नहीं जगत में जैसी है हनुमान की
(राम, जय राम, राम, जय राम)
(राम, जय राम, श्री राम)
(राम, जय राम, राम, जय राम)
(राम, जय राम, श्री राम)
(राम, जय राम, श्री राम)
ऐसी भक्ति नहीं जगत में जैसी है हनुमान की
ऐसी शक्ति नहीं जगत में जैसी है हनुमान की
जय, जय, जय, हनुमान की, जय पवन पुत्र भगवान की
जय, जय, जय, हनुमान की, जय पवन पुत्र भगवान की
(ऐसी भक्ति नहीं जगत में जैसी है हनुमान की)
(ऐसी शक्ति नहीं जगत में जैसी है हनुमान की)
जितने मंदिर राम के जग में, सब में श्री हनुमान हैं
जितने मंदिर राम के जग में, सब में श्री हनुमान हैं
सेवक श्री हमुमान को देखो, वो भी श्री भगवान हैं
चीर के छाती दर्शन दींहा, कथा सुनो बलवान की
ऐसी भक्ति नहीं जगत में जैसी है हनुमान की
ऐसी शक्ति नहीं जगत में जैसी है हनुमान की
जय, जय, जय, हनुमान की, जय पवन पुत्र भगवान की
जय, जय, जय, हनुमान की, जय पवन पुत्र भगवान की
ऐसी भक्ति नहीं जगत में जैसी है हनुमान की
ऐसी शक्ति नहीं जगत में जैसी है हनुमान की
(राम, जय राम, राम, जय राम)
(राम, जय राम, श्री राम)
जिनके हिये श्री राम-लखन हैं, संग साथ सिय माता
जिनके हिये श्री राम-लखन हैं, संग साथ सिय माता
रोम-रोम में राम बसे हैं, सकल सृष्टि के ज्ञाता
स्वामी की भक्ति में बंदे, नहीं जगह अभिमान की
ऐसी भक्ति नहीं जगत में जैसी है हनुमान की
ऐसी शक्ति नहीं जगत में जैसी है हनुमान की
जय, जय, जय, हनुमान की, जय पवन पुत्र भगवान की
जय, जय, जय, हनुमान की, जय पवन पुत्र भगवान की
(ऐसी भक्ति नहीं जगत में जैसी है हनुमान की)
(ऐसी शक्ति नहीं जगत में जैसी है हनुमान की)
सेतु नहीं था, निज शक्ति से लंका में सिय को पाया
सेतु नहीं था, निज शक्ति से लंका में सिय को पाया
अभिमानी रावण को पटका, परम बली को समझाया
हुल पहाड़ ले उड़े, कथा ये प्रेम, भक्ति, सम्मान की
ऐसी भक्ति नहीं जगत में जैसी है हनुमान की
ऐसी शक्ति नहीं जगत में जैसी है हनुमान की
जय, जय, जय, हनुमान की, जय पवन पुत्र भगवान की
जय, जय, जय, हनुमान की, जय पवन पुत्र भगवान की
(ऐसी भक्ति नहीं जगत में जैसी है हनुमान की)
(ऐसी शक्ति नहीं जगत में जैसी है हनुमान की)
जय, जय, जय, हनुमान की, जय पवन पुत्र भगवान की
जय, जय, जय, हनुमान की, जय पवन पुत्र भगवान की
ऐसी भक्ति नहीं जगत में जैसी है हनुमान की
ऐसी शक्ति नहीं जगत में जैसी है हनुमान की
(राम, जय राम, राम, जय राम)
(राम, जय राम, श्री राम)
(राम, जय राम, राम, जय राम)
(राम, जय राम, श्री राम)
Credits
Writer(s): Narain Agrawal, Pandit Hariprasad Chaurasia
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