Zara Zara Behekta Hai (Unplugged)

तड़पाएँ मुझे तेरी सभी बातें
एक बार ऐ दीवानी, झूठा ही सही, प्यार तो कर
मैं भूला नहीं हसीं मुलाक़ातें
बेचैन करके मुझ को मुझ से यूँ ना फेर नज़र

सर्दी की रातों में हम सोए रहें एक चादर में
हम दोनों तनहा हों, ना कोई भी रहे इस घर में

ज़रा-ज़रा बहकता है, महकता है
आज तो मेरा तन-बदन
मैं प्यासा हूँ, मुझे भर ले अपनी बाँहों में

है मेरी क़सम तुझ को, सनम
दूर कहीं ना जा
ये दूरी कहती है, पास मेरे आजा

यूँ ही बरस-बरस काली घटा बरसे
हम यार भीग जाएँ इस चाहत की बारिश में
तेरी खुली-खुली लटों को सुलझाऊँ
मैं अपनी उँगलियों से, मैं तो हूँ इसी ख़ाहिश में

रूठेगा मुझ से ना, मेरे साथिया, ये वादा कर
तेरे बिना मुश्किल है जीना मेरा मेरे दिल में

ज़रा-ज़रा बहकता है, महकता है
आज तो मेरा तन-बदन
मैं प्यासा हूँ, मुझे भर ले अपनी बाँहों में

है मेरी क़सम तुझ को, सनम
दूर कहीं ना जा
ये दूरी कहती है, पास मेरे आजा



Credits
Writer(s): Sameer Anjaan
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