Kahin Nahi Gaya

नाराज़ हूँ मैं आँखों से अपनी
जो तुझे देखा नहीं (जो तुझे देखा नहीं)
जाते-जाते तूने मुड़ के तो देखा
क्यूँ मैंने देखा नहीं? (क्यूँ मैंने देखा नहीं?)

जिसकी मंज़िल तू है, मैं वो मुसाफ़िर हूँ
तू जो बुलाए मुझको अभी तो तेरे लिए हाज़िर हूँ

कहीं नहीं गया, हूँ आज भी तेरा
पुकार ले मुझे, वहीं पे हूँ खड़ा
कहीं नहीं गया, हूँ आज भी तेरा
पुकार ले मुझे, वहीं पे हूँ खड़ा

जिस रस्ते पर छोड़ गए हो, उस रस्ते पर घर है तुम्हारा
तुम ही बताओ कैसे जाएँ छोड़ के उम्मीदों का सहारा

जिस्म बिछड़ते हैं, रूह नहीं
ऐसा हमारा नाता है
तोड़ दिए सारे रिश्ते मैंने
तूने जो ना अपनाया है

कहीं नहीं गया, हूँ आज भी तेरा
पुकार ले मुझे, वहीं पे हूँ खड़ा
कहीं नहीं गया, हूँ आज भी तेरा
पुकार ले मुझे, वहीं पे हूँ खड़ा



Credits
Writer(s): Aniket Shukla
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