Lehrein Toh Chup Hain

लहरें तो चुप हैं, मगर ये कश्तियाँ टकरा रहीं
लहरें तो चुप हैं, मगर ये कश्तियाँ टकरा रहीं
कौन समझाए इन्हें, बेकार है रस्सा-कशी
कल ही की तो बात है, हम खेलते थे मौज से
लड़ते थे हम प्यार से उस नक़ली वाली फ़ौज से

रात के इस शोर में ख़ामोश एक अरदास है
कौन जाने, कौन जीता, किस का ये वनवास है
किस का ये वनवास है, किस का ये वनवास है

दिल के मौसम हैं बदलते, जैसे दिन और रात हैं
दिल के मौसम हैं बदलते, जैसे दिन और रात हैं
भागता है वक़्त भी तो ऐसे ही जज़्बात हैं
लड़खड़ाता है ये दिल पर कहता है, "आज़ाद है"
शुक्रिया कहना था, पर कह गया, "नाराज़ है"

लगते हैं जो दूर, शायद वो हमारे पास हैं
कौन जाने, कौन हारा, किस का ये वनवास है
किस का ये वनवास है, किस का ये वनवास है



Credits
Writer(s): Aditya A
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