Taareef

जब भी देखा है तुझे, सोचा यही
जब भी देखा है तुझे, सोचा यही
शायरों को शायरी आती नहीं, हो

पल भर ठहर जा, तुझ को उतारूँ
साँसों में अपनी ज़रा
छू लूँ तुझे और कर लूँ यक़ीं मैं
ना तू कोई सपना

कजरा लगाए, बिंदिया सजाए
बस जा पिया मन रे, मन रे, मन रे

कैसे पिया, मैं तारीफ़ बोलूँ?
"चंदा" कहूँ या मैं "फूल"?
जो भी मैं कह दूँ, कम ही तो होगा
जन्नत हो तुम, मैं ज़मीं

आयत सा पढ़ लूँ, दुआओं में भर लूँ
सजदा करूँ दिन-रैन, दिन-रैन, दिन-रैन

जब भी देखा है तुझे, सोचा यही
शायरों को शायरी आती नहीं



Credits
Writer(s): Manish Sharma, Manisha Sri
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