Ik Naya Khuwab

झूमके चली महकी हवा सुरों को ओढ़ के
आए जो यहाँ, जाए ना कभी ये राहें छोड़ के

धूप नगर में सजने लगी है महकी वादियाँ
बर्फ़ तले है उजले पहाड़ों का दिलकश समाँ

रंग सारे, सारे, सारे आँखों की ज़मीन पे है खिले
संग तारे, तारे, तारे सौंदी-सौंदी राहों पे मिले

इक नया ख़्वाब
इक नया ख़्वाब
इक नया ख़्वाब

ना क़दम रुके, आती रहे मंज़िलों की रोशनी
दौर ये हसीं, बढ़ती रहे यूँ ही ये चाँदनी

लहर, लहर से खेल रही है मौसम नाज़ के
नज़र, नज़र के साथ मिली है लमहें थाम के

रंग सारे, सारे, सारे आँखों की ज़मीन पे है खिले
संग तारे, तारे, तारे सौंदी-सौंदी राहों पे मिले

इक नया ख़्वाब
इक नया ख़्वाब
इक नया ख़्वाब



Credits
Writer(s): Shakeel Sohail
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