Kalank Title by Rishabh Srivastava

हज़ारों में किसी को तक़दीर ऐसी मिली है
एक राँझा और हीर जैसी
ना जाने ये ज़माना क्यूँ चाहे रे मिटाना

कलंक नहीं, इश्क़ है काजल, पिया
ओ, कलंक नहीं, इश्क़ है काजल, पिया

दुनिया की नज़रों में ये रोग है
हो जिनको वो जानें ये जोग है
एक तरफ़ा शायद हो दिल का भरम
दो तरफ़ा है तो ये संजोग है

लाई हमें ज़िंदगानी किस मोड़ पे?
हुए रे खुद से पराए नैना जोड़ के

जो तेरे ना हुए तो किसी के ना रहेंगे
ना जाने ये ज़माना क्यूँ चाहे रे मिटाना

कलंक नहीं, इश्क़ है काजल, पिया
ओ, कलंक नहीं, इश्क़ है काजल, पिया



Credits
Writer(s): Amitabh Bhattacharya, Pritam
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