Aaj Ke Daur Mein Ae Dost Ye Manjhar

आज के दौर में ऐ दोस्त ये मंज़र क्यूँ है?
आज के दौर में ऐ दोस्त ये मंज़र क्यूँ है?
ज़ख़्म हर सर पे, हर इक हाथ में पत्थर क्यूँ है?
आज के दौर में ऐ दोस्त ये मंज़र क्यूँ है?

जब हक़ीक़त है के हर ज़र्रे में तू रहता है
जब हक़ीक़त है के हर ज़र्रे में तू रहता है
फिर ज़मीं पर कहीं मस्जिद, कहीं मंदिर क्यूँ है?
ज़ख़्म हर सर पे, हर इक हाथ में पत्थर क्यूँ है?

आज के दौर में ऐ दोस्त ये मंज़र क्यूँ है?

अपना अंजाम तो मालूम है सबको फिर भी
अपना अंजाम तो मालूम है सबको फिर भी
अपनी नज़रों में हर इंसान सिकंदर क्यूँ है?
ज़ख़्म हर सर पे, हर इक हाथ में पत्थर क्यूँ है?

आज के दौर में ऐ दोस्त ये मंज़र क्यूँ है?

ज़िन्दगी जीने के क़ाबिल ही नहीं अब फ़ाकिर
ज़िन्दगी जीने के क़ाबिल ही नहीं अब फ़ाकिर
वरना हर आँख में अश्क़ों का समुंदर क्यूँ है?
ज़ख़्म हर सर पे, हर इक हाथ में पत्थर क्यूँ है?

आज के दौर में ऐ दोस्त ये मंज़र क्यूँ है?



Credits
Writer(s): Sudarshan Faakir, Jagjit Singh
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