Tallukh

सवालों की आँधिया
ढूंढ रही है जवाब
आखिर कोण है वह शक़्स जिसने
रच दिया चक्रवात

समझ में आ न पाएं
बोझ बनकर जो रहे जाए
ज़िन्दगी का
कैसा यह इन्साफ

किसीको मिले इश्क़ का सुख
किसीके गालो पे बेहटा दुःख
ऐ पहेली अब तू बता
क्यों रचा
तेरा मेरे यह ताल्लुख

अब टूट रहा है सबर का बाण
ज़िन्दगी का है आखिर
यह कैसा मुकाम

ऐ पहेली अब न सत्ता रूह को इस कदर न तड़पा
अब तू ही खुदसे पूछ क्यों रचा

तेरा मेरा यह तालुख
कैसा है यह ताल्लुख
चीन गया है मेरा सुख
इस कदर है यह ताल्लुख

तेरा मेरा यह तालुख
कैसा है यह ताल्लुख
चीन गया है मेरा सुख
इस कदर है यह ताल्लुख

सूख में भी है बस दुःख
इस क़द्र है यह ताल्लुख

वक़्त की पहनी अब ज़ंजीरिएं
दुःख की सीने में कुछ तीरे

दिल मांग रहा है इन्साफ
दुनिया भी लगा रही अब खिलाफ
अब कर भी दे यह इन्साफ

तेरा मेरा यह तालुख
कैसा है यह ताल्लुख
चीन गया है मेरा सुख
इस कदर है यह ताल्लुख

तेरा मेरा यह तालुख
कैसा है यह ताल्लुख
चीन गया है मेरा सुख
इस कदर है यह ताल्लुख



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