Ishq Khuda Hai

दो क़दम चलने की चाहत थी उस रास्ते पर
जिस पर चलने को हाथ थामा था तुमने
लगता था बस यही पहुँचाएगी मंज़िल-ए-सफ़र तक
खोज पूरी हो गई, शायद ऐसा अहसास हो गया था
अंदर के दर्द अभी कुछ देर पहले तक दुखते थे

गिरने वाले तो ना थे हम कभी
गिराने वाले का हुनर तो देखिए
हमने आह भी करी तो हमें ही सुनाई ना दी

पिघलते गए उसकी साँसों में हर पल
सामने वो था तो हर सब्र खो बैठे
सिर्फ़ चाहा कि वो चाहे मुझे
इतना जितना मैंने उसको चाहा

हौले से कब हुआ ये कि किसी और का होकर
फ़िर मेरी ओर देखकर कहा कि कमी है तेरी
हलकी सी मज़ाक बनकर रह गई खुद्दारी मेरी
अब ना होगा मुझसे ये खेल दोबारा
(खेल दोबारा, खेल दोबारा...)

ਜ਼ਹਿਰ ਵੇਖ ਕੇ ਪੀਤਾ ਤੇ ਕੀ ਕੀਤਾ?
ਇਸ਼ਕ ਸੋਚ ਕੇ ਕੀਤਾ ਤੇ ਕੀ ਕੀਤਾ?
ਦਿਲ ਦੇਕੇ, ਦਿਲ ਲੈਣ ਦੀ ਆਸ ਰੱਖੀ
ਵੇ ਬੁਲ੍ਹਿਆ, ਵੇ ਬੁਲ੍ਹਿਆ
ਪਿਆਰ ਵੀ ਲਾਲਚ ਨਾਲ ਕੀਤਾ ਤੇ ਕੀ ਕੀਤਾ?

पर तुम में शायद कुछ ख़ास है
तुम्हारी आँखों में बच्चों की सी आस है
तुम्हारी आँखों के शीशे में
मेरा चेहरा दिखा है मुझे (दिखा है मुझे)
मेरे चेहरे की रंगत क्या खूब दिखती है इनमें
सोचते हैं अब इन्हीं में रहेंगे (अब इन्हीं में रहेंगे)

ਜ਼ਹਿਰ ਵੇਖ ਕੇ ਪੀਤਾ ਤੇ ਕੀ ਕੀਤਾ?
ਇਸ਼ਕ ਸੋਚ ਕੇ ਕੀਤਾ ਤੇ ਕੀ ਕੀਤਾ?
ਦਿਲ ਦੇਕੇ, ਦਿਲ ਲੈਣ ਦੀ ਆਸ ਰੱਖੀ
ਵੇ ਬੁਲ੍ਹਿਆ, ਵੇ ਬੁਲ੍ਹਿਆ
ਪਿਆਰ ਵੀ ਲਾਲਚ ਨਾਲ ਕੀਤਾ ਤੇ ਕੀ ਕੀਤਾ?

चल ज़िंदगी, मैं इश्क़ के जुएँ के लिए फ़िर तैयार हूँ
सारी बाज़ियाँ तू खेल, फ़िर मुझ को मिट्टी में रेल
सब करके देखा, इश्क़ में ही छिपी इबादत है
वक्त अगर ज़िंदगी तो इश्क़ खुदा है

हर पल में इश्क़, मिट्टी में इश्क़
हवाओं में, और क्या है बाक़ी?
इश्क़ खुदा है (इश्क़ खुदा है, इश्क़ खुदा है)
(इश्क़ खुदा है)



Credits
Writer(s): Dp, Khushali Kumar, Sanjay Rajee
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