Jeet Jayenge Hum

आज मुश्किलों ने सिर उठाया है फिर
आज फिर घरों में बंद हैं यें कदम
हाथ जो मदद के वास्ते हैं उठे
थाम लेंगे होने ना दें आँखे वो नम
सीने में है तेरा लहू, रगों में है तेरा नमक

ऐ वतन, ऐ वतन
देखना एक दिन जीत जायेंगे हम
ऐ वतन, ऐ वतन
मुस्कुराएगा तू, मुस्कुराएंगे हम

काम तेरे जो ना आएँ, साँसे किस काम की
बाजियाँ लगा देंगे, हम फिर जहान की
सीना तान के लड़ेंगे, रात हो या दिन
जीतने तक ये जंग, चैन लेंगे नहीं
ये वक़्त है माना बुरा, होगा तभी तो खत्म

ऐ वतन, ऐ वतन
देखना एक दिन जीत जायेंगे हम
ऐ वतन, ऐ वतन
मुस्कुराएगा तू, मुस्कुराएंगे हम

धड़कनों में एक (...) गंगा बहे
आज इक हो चलें ये तिरंगा कहे
हम सदा यूँ तेरे काम आते रहें
हम रहें ना रहें, देश जिंदा रहे
तुझ पे जीयें, तुझ पे मरें
चाहें मिले हों सोहलां जन्म

ऐ वतन, ऐ वतन
देखना एक दिन जीत जायेंगे हम
ऐ वतन, ऐ वतन
मुस्कुराएगा तू, मुस्कुराएंगे हम



Credits
Writer(s): Kunaal Vermaa
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