Qismat

हाय, वो दिन भी क्या थे
कितने रंगीं सपने थे
हम उनके, वो अपने थे
लेकिन क़िस्मत ने दूर कर दिया

ऐसी भी क्या मजबूरी
हो गई दिलों में दूरी
हसरत हुई ना पूरी
लेकिन क़िस्मत ने दूर कर दिया

बारिश की ये फुहार है
दिल अपना बेक़रार है
रुसवाई मझधार है
सब झूठा संसार है

हमसे गुनाह क्या ऐसा हुआ? (ऐसा हुआ)
दुनिया ने भी रुसवा किया
क्या प्यार करना ख़ता तो नहीं?
अपनी ग़रीबी सज़ा तो नहीं?

हाय, वो दिन भी क्या थे
कितने रंगीं सपने थे
हम उनके, वो अपने थे
लेकिन क़िस्मत ने दूर कर दिया

ऐसी भी क्या मजबूरी
हो गई दिलों में दूरी
हसरत हुई ना पूरी
लेकिन क़िस्मत ने दूर कर दिया



Credits
Writer(s): Niyamath Ali
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