Lamhe Fizool Ke

जाने क्यूँ आज फिर याद तेरी आई है
Hmm खामखा आज फिर आँख भर आई है
हो, बीते जो सौबत में
हाँ, तेरी ही चाहत में लम्हे फ़िज़ूल के

होंटों पे आज तेरा नाम जब आया तो
हो, मुद्दत के बाद बरसात फिर आई है

हो, छलके हैं, छलके हैं
आँखों से झलके वो लम्हे फ़िज़ूल के
हो, जलते हैं, जलते हैं
सीने में छुप के वो लम्हे फ़िज़ूल के

जाने क्यूँ आज फिर याद तेरी आई है
Hmm मुद्दत के बाद बरसात फिर आई है

मैं भी था और तू भी थी मोहब्बत में
उन दिनों थे हम बड़ी ही फ़ुरसत में
जगते-सोते हम ने सपने देखे थे
हाँ, आ गए हैं देखो ना अब हक़ीक़त में

उस तरह फिर जी लूँ मैं ज़िंदगी
सही जाए मुझ से ना तेरी ये कमी

भूले से आज जो ये याद तेरी आई है
हो, मीठी सी बात फिर आज दोहराई है

हो, छलके हैं, छलके हैं
आँखों से झलके वो लम्हे फ़िज़ूल के
हो, जलते हैं, जलते हैं
सीने में छुप के वो लम्हे फ़िज़ूल के

जाने क्यूँ आज फिर याद तेरी आई है
Hmm मुद्दत के बाद बरसात फिर आई है



Credits
Writer(s): Prashant Satose, Saaveri Verma
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