Ghum Hai

ग़ुम है कहाँ
उन पन्नों में
किसी आवारा खत की तरह
ग़ुम है कहाँ
उन लहरों में
किसी बेपरवाह कश्ती की तरह

उड़ा तू कहाँ ऐ बेपर परिंदे
किसी बेमंज़िल साहिल की तरह
ग़ुम है कहाँ
उन पन्नों में
किसी आवारा खत की तरह

अलफ़ाज़ मेरे यूँ ग़ुम से गए हैं
अँधेरे में सायें की ही तरह
अलफ़ाज़ मेरे यूँ ग़ुम से गए हैं
अँधेरे में सायें की ही तरह

बैराग से दिल ने रूह ऐसी मोड़ी
रूठे आशिक़ की ही तरह
ग़ुम है कहाँ उन पन्नों में
किसी आवारा खत की तरह
ग़ुम है कहाँ उन लहरों में
किसी बेपरवाह कश्ती की तरह



Credits
Writer(s): Pratik Adhikari
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