Commentary And Hamne Dekhi Hai Un Ankhon Ki Khamoshi

सुनिए और सुरूर में आकार झूमिए

हमने देखी है उन आँखों की महकती ख़ुशबू
हाथ से छू के इसे रिश्तों का इल्ज़ाम न दो
सिर्फ़ एहसास है ये, रूह से महसूस करो
प्यार को प्यार ही रहने दो, कोई नाम न दो

हमने देखी है उन आँखों की महकती ख़ुशबू
हाथ से छू के इसे रिश्तों का इल्ज़ाम न दो
हमने देखी है...

प्यार कोई बोल नहीं, प्यार आवाज़ नहीं
एक ख़ामोशी है, सुनती है, कहा करती है
न ये बुझती है, न रुकती है, न ठहरी है कहीं
नूर की बूँद है, सदियों से बहा करती है

सिर्फ एहसास है ये, रूह से महसूस करो
प्यार को प्यार ही रहने दो, कोई नाम न दो
हमने देखी है उन आँखों की महकती ख़ुशबू
हाथ से छू के इसे रिश्तों का इल्ज़ाम न दो
हमने देखी है...
मुस्कुराहट सी खिली रहती है आँखों में कहीं
और पलकों पे उजाले से झुके रहते हैं
होंठ कुछ कहते नहीं, काँपते होंठों पे मगर
कितने ख़ामोश से अफ़साने रुके रहते हैं

सिर्फ़ एहसास है ये, रूह से महसूस करो
प्यार को प्यार ही रहने दो, कोई नाम न दो
हमने देखी है उन आँखों की महकती ख़ुशबू
हाथ से छू के इसे रिश्तों का इल्ज़ाम न दो
हमने देखी है...

न जाने क्या हुआ था film 'Khamoshi' को उस साल
के उसके गीतों से लोकप्रियता की धूप ने बिल्कुल ही मुँह मोड़ लिया था
इसलिए, भई, uh, उस film के गीतों के दो और बड़ी प्यारी सी झलकें
तो हमें बजानी ही पड़ेंगी ना

वो शाम कुछ अजीब थी
ये शाम भी अजीब है
वो कल भी पास-पास थी
वो आज भी क़रीब है
वो शाम कुछ अजीब थी

तुम पुकार लो
तुम्हारा इंतज़ार है
तुम पुकार लो
ख़्वाब चुन रहें हैं
रात बेक़रार है
तुम्हारा इंतज़ार है

अब एक और गीत सुन लीजिए 1969 की छाँव से



Credits
Writer(s): Gulzar, Hemant Kumar
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