Sunn

सुन, करें बातें जो हम-तुम
है सबसे जुदा
पल में ये रातें दिन क्यूँ हुई?
इन्हें थामो ज़रा

मिली मुझे कुछ राहें ऐसी
दिन भीनी और रातें हसीं सी बुनी
होती ऐसी मुलाक़ातें कहाँ
जो करते ना सफ़र

पर लगे ख़्वाबों में नए, चल उड़े अपनी उड़ाँ
दिल है थोड़ा सा बे-फिकर, ख़ुशी बे-पनाह

मिली मुझे कुछ राहें ऐसी
दिन भीनी और रातें हसीं सी बुनी
होती ऐसी मुलाक़ातें कहाँ
जो करते ना सफ़र
ना सफ़र

खोई बैठी थी आज तक
क्यूँ ये धुन मेरी नज़रों से?
ज़िंदगी जो है आज है, इसे चुन
खो ना जाएँ ये लम्हें

हो, सुनी नहीं ऐसी बातें कहीं
ख़्वाहिशें हैं कम, सपने कई
आँखें बंद और नज़रें खुली
है दिल बे-सबर

(ख़तम होना है मुश्किल ये सफ़र)



Credits
Writer(s): Dhruv Angrish
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