Matlab

मेरा इश्क़ तो उसके लिए
सीढ़ियों से ज़्यादा क़ुछ नहीं था
प्यार में मुझे करके इस्तेमाल
छोड़ा जैसे में अजनबी था

सीने में दिल ना रोता
दिल से जो थामा होता तो हाथ छूटते नहीं

मतलब निकल गया तो अब वो पूछते नहीं
अब वो पूछते नहीं
मौसम बदल गया तो अब वो पूछते नहीं
अब वो पूछते नहीं

मैं उसे चाहता रहा पागल की तरह
और वो आके चली गई बादल की तरह
ज़िंदगी में उसकी में था एक ज़रियाँ
में था कश्ती, दिल था मेरा एक दरियाँ
मुझपे चल के उसने पाए हैं किनारे
पूरे मुझसे ही किए हैं ख़्वाब सारे

थे काँच से भी कचे
वादे जो होते सचे
तो वादे टूटते नही

मतलब निकल गया तो अब वो पूछते नहीं
अब वो पूछते नहीं
मौसम बदल गया तो अब वो पूछते नहीं
अब वो पूछते नहीं



Credits
Writer(s): Anjjan Bhattacharya, Kumaar
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