Baatein

बातें अनकही सी तू सुनाए, मैं सुनूँ
हँस के, यूँ हँसा के, तू हँसाए, मैं हँसूँ

रात भर बैठ कर, बस यूँ ही बैठ कर
तू गुनगुनाए, मैं गाती रहूँ
रात भर बैठ कर, बस यूँ ही बैठ कर
तू गुनगुनाए, मैं गाती रहूँ

बातें अनकही सी तू सुनाए, मैं सुनूँ
हँस के, यूँ हँसा के, तू हँसाए, मैं हँसूँ

रातें रुकी-रुकी सी यूँ ही ऐसे चलते रहें
राहें अजनबी सी यूँ ही संग-संग कटती रहें

चाय की प्यालियाँ, कानों की बालियाँ
हाथ से यूँ ही छनती रहें
चाय की प्यालियाँ, कानों की बालियाँ
हाथ से यूँ ही छनती रहें

बातें अनकही सी तू सुनाए, मैं सुनूँ
हँस के, यूँ हँसा के, तू हँसाए, मैं हँसूँ
बातें अनकही सी तू सुनाए, मैं सुनूँ
हँस के, यूँ हँसा के, तू हँसाए, मैं सुनूँ



Credits
Writer(s): Palaash Muchhal, Preeti Singh
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