Safar

सफ़र, कैसा है ये सफ़र
मंजिलों की ना है कोई खबर
सफ़र, कैसा है ये सफ़र
मंजिलों की ना है कोई खबर

रास्तों से मेरी गहरी यारी हो गयी
जो फ़र्ज़ से भरा था बस्ता
वो भी खाली हो गया
बुरा है ज़माना, तू चल डगर ना कर अगर-मगर
कैसा है ये सफ़र
मंजिलों की ना है कोई खबर

सफ़र, कैसा है ये सफ़र
मंजिलों की ना है कोई खबर
सफ़र

पैरों को बांधे बेड़ियाँ
बताये सौ कहानियाँ
तू रोशनी तू रंग है
तू उड़ रही पतंग है
बना है तू ढा दे गज़ब
आज़माना है अब इस ज़माने का हर पैंतरा

गुज़र, ऐसी राह से गुज़र
जी उठे हर घड़ी हर पहर
सफ़र, कैसा है ये सफ़र
मंजिलों की ना है कोई खबर
सफ़र



Credits
Writer(s): Bhuvan Bam, Omkar Tamhan
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