Saath Chal Zara

क्यूँ ख़्वाब में घुलती हुई
तस्वीर सी लगती मुझे?
तू है हक़ीक़त या है नहीं?
हर पल ये दिल ढूँढे तुझे

इन काग़ज़ों की कश्तियों पे
बह चले हैं हम कहाँ?
तेरे बिन कुछ भी नहीं है
तू जहाँ, मैं भी वहाँ

तू मेरे साथ चल ज़रा
ढूँढूँ मैं खुद को तेरी आँखों में ही
तू मेरे साथ चल ज़रा
थोड़ी सही, हाँ, मुझ को तू मिल गई

थोड़ा अधूरा मैं जो था
तूने है पूरा मुझ को किया
हर लफ़्ज़ में मौजूद कहीं
तू मुझ में है साँसों की तरह

इन बारिशों की बूँदों से
मुझ को तू भिगा ज़रा
पलकों पे ठहरे बादलों को
इश्क़ तुम से हो गया

तू मेरे साथ चल ज़रा
थोड़ी सही, हाँ, मुझ को तू मिल गई



Credits
Writer(s): Divyam Jain, Shrey Srivastava
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