Kaise Kahoon

कई दिनों से सोच रहा था
ढूँढूँ मैं तेरा पता
पूछा, तब मुझ को मिली ख़बर
तू आई है फिर इस शहर

कई दिनों से सोच रहा था
मिल जाऊँ तुझ को कहीं
चल दूँ वो सारी जगह पर
संग हम-तुम चले थे कभी

एहसास होने का तेरा
मुझ में है अब भी कहीं
अफ़सोस होता है
आज भी तू हो ना पाई मेरी

कैसे कहूँ मैं, कहूँ मैं
"तुझे अब भी मैं चाहता हूँ"?
क्या करूँ मैं, करूँ मैं?
तेरी यादों में डूब रहा...

कई दिनों से सोच रहा था
आ के तेरी गली
बिताऊँ कुछ पल उस लम्हे में
जब बातें होती तेरी

महफ़ूज हैं सारे वो दिन
आँखों में अब भी मेरे
ढूँढता तुझ को हर दम
पर तू हो ना पाई मेरी

कैसे कहूँ मैं, कहूँ मैं
"तुझे अब भी मैं चाहता हूँ"?
क्या करूँ मैं, करूँ मैं?
तेरी यादों में डूब रहा हूँ

कहानी अपनी रही थी अधूरी
क्यूँ रोक ना पाया तुझे मैं?
भूल होगी मेरी ही कुछ ऐसी
ना मुड़ के देखा तूने

कैसे कहूँ मैं, कहूँ मैं
"तुझे अब भी मैं चाहता हूँ"?
क्या करूँ मैं, करूँ मैं?
तेरी यादों में डूब रहा हूँ



Credits
Writer(s): Shanay Shah
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