Jeena Sikha Diya

ख़ामोश सी थी मेरी ज़िंदगी
तूने मुझे जीना सिखा दिया
कैसा था मैं और क्या थी मेरी ख़्वाहिशें
मुझ को बता दिया

तुझ से मिला तो ये लगा
कि जैसे मिल गया कोई राबता
ख़ामोश सी थी मेरी ज़िंदगी
तूने मुझे जीना सिखा दिया

तेरे होने से मैं हूँ, तू ही मेरे रू-ब-रू
तुझ से होके ही तो हैं अब लम्हें सब मेरे
दिल का मंज़र तुझ से ही, तू ही मेरी है सुकूँ
चाहे जाऊँ कहीं भी, आ के तुझ पे ही रुकूँ
(आ के तुझ पे ही रुकूँ)

ख़ामोश सी थी मेरी ज़िंदगी
तूने मुझे जीना सिखा दिया

रौनकें हैं तुझ से ही
ज़िंदगी में तू सब कुछ मेरी
ख़्वाब जो देखे थे मैंने
मुक़म्मल हो गए तेरे आने से

ज़िंदगी तो थी, पर मैं कहाँ ज़िंदा था
पिंजरे में क़ैद जैसे कोई परिंदा था

ख़ामोश सी थी मेरी ज़िंदगी
तूने मुझे जीना सिखा दिया



Credits
Writer(s): Sachin Kumar
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