Pehli Dafa

पहली दफ़ा मुझ को ऐसा
जान-ए-जानाँ, सुकून मिला

पहली दफ़ा मुझ को ऐसा
जान-ए-जानाँ, सुकून मिला
मुझ में जो तू शामिल हुआ
तो मुझ को मेरा वजूद मिला

खुद से जुदा ना मुझ को तू करना
चैन ना आएगा

ऐसे ही सदा तू रहना, मैं हद से गुज़र जाऊँगा
तू जान भी 'गर माँगे, तेरी ख़ातिर मर जाऊँगा
ऐसे ही सदा तू रहना, मैं हद से गुज़र जाऊँगा
तू जान भी 'गर माँगे, तेरी ख़ातिर मर जाऊँगा

बाँहों में आ के मेरी तू एक नई ज़िंदगी दे
आँखों में मेरी समा के एक नई रोशनी दे

सारी दुनिया मुझे तुझ में ही मिल गई
शामें जितनी भी थी, सुबह में ढल गई
सुबह में ढल गई

ऐसे ही सदा तू रहना, मैं हद से गुज़र जाऊँगा
तू जान भी 'गर माँगे, तेरी ख़ातिर मर जाऊँगा
ऐसे ही सदा तू रहना, मैं हद से गुज़र जाऊँगा
तू जान भी 'गर माँगे, तेरी ख़ातिर मर जाऊँगा

दिल से लगा कर मुझे तू होने का मेरे पता दे
खुद पे मैं इतरा जाऊँ, मुझ को तू ऐसा बना दे

देखता ही रहूँ उम्र भर मैं तुझे
काम इसके सिवा ना हो कोई मुझे
कोई मुझे

ऐसे ही सदा तू रहना, मैं हद से गुज़र जाऊँगा
तू जान भी 'गर माँगे, तेरी ख़ातिर मर जाऊँगा
ऐसे ही सदा तू रहना, मैं हद से गुज़र जाऊँगा
तू जान भी 'गर माँगे, तेरी ख़ातिर मर जाऊँगा



Credits
Writer(s): A M Turaz, Babli Haque
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