Naamonishan

गुमशुदा मैं तुझ में, तू मुझ में हो जाए तो?
वक़्त का दायरा तुझ पे सिमट जाए तो?
बेवजह लब मेरे खुल के खिल जाएँ तो?
बंद आँखों में भी मुझ को तू नज़र आए तो?

नाम-ओ-निशाँ तेरा मुझ ही में, मेरा तुझ ही में हो
नाम-ओ-निशाँ तेरा मुझ ही में, मेरा तुझ ही में हो
नाम-ओ-निशाँ...

प्याला इश्क़ से भरा तुझ पे छलक जाएगा
नज़दीकियों का कुछ असर तुझ पे भी नज़र आएगा
इक दफ़ा मेरी नज़र तुझ पे पड़ जाए तो?
फिर बने हालात जो हद से गुज़र जाएँ तो?

नाम-ओ-निशाँ तेरा मुझ ही में, मेरा तुझ ही में हो
नाम-ओ-निशाँ तेरा मुझ ही में, मेरा तुझ ही में हो
नाम-ओ-निशाँ...

साँसें गर्म भाप सी इस काँच पे जम जाएँ तो
और उन पे कुछ मेरे निशाँ, कुछ तेरे बन जाएँ तो?
हाथों की नरमाहट तुझ तक पहुँच जाए तो?
पल ठहर के इक जगह तेरे संग थम जाएँ तो?

नाम-ओ-निशाँ तेरा मुझ ही में, मेरा तुझ ही में हो
नाम-ओ-निशाँ तेरा मुझ ही में, मेरा तुझ ही में हो
नाम-ओ-निशाँ...



Credits
Writer(s): Seepi Jha
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