Chhod Diya

मैं था मुसाफ़िर राहों का तेरी
तुझ तक मेरा था दायरा
मैं भी कभी था मेहवर तेरा
ख़ाना-बदोश मैं अब ठहरा
ख़ाना-बदोश मैं अब ठहरा

छूता नहीं उन फ़ूलों को
जिन फ़ूलों में तेरी खुशबू हो
छोड़ दिया वो रास्ता
जिस रास्ते से तुम थे गुज़रे

कुछ भी ना पाया मैंने सफ़र में
होके सफ़र का मैं रह गया
काग़ज़ का पोशीदा घर था
भीगते बारिश में बह गया
भीगते बारिश में बह गया

देखूँ नहीं उस चाँदनी को
जिसमें कि तेरी परछाई हो
दूर हूँ मैं इन हवाओं से
ये हवा तुझे छू के भी आई ना हो
छोड़ दिया वो रास्ता
जिस रास्ते से तुम थे गुज़रे



Credits
Writer(s): Nitin Patkar
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