Zaroori Tha

बताओ, याद है तुम को वो जब दिल को चुराया था?
चुराई चीज़ को तुमने खुदा का घर बनाया था
वो जब कहते थे, मेरा नाम तुम तसबीह में पढ़ते हो
मोहब्बत की नमाज़ों का क़ज़ा करने से डरते हो

मगर अब याद आता है, वो बातें थी महज़ बातें
कहीं बातों ही बातों में मुक़रना भी ज़रूरी था
तेरी आँखों के दरिया का बिछड़ना भी ज़रूरी था



Credits
Writer(s): Sahir Ali Bagga, Khalil Ur Rehman
Lyrics powered by www.musixmatch.com

Link