Chaudhvin Ki Raat Thi

कल चौदहवीं की रात थी
शब भर रहा चर्चा तेरा
कल चौदहवीं की रात थी
कुछ ने कहा ये चाँद है
कुछ ने कहा, चेहरा तेरा
कल चौदहवीं की रात थी
शब भर रहा चर्चा तेरा

इस शहर में किस्से मिलें
हम से तो छूटी महफिलें
हर शख्स तेरा नाम ले
हर शख्स दीवाना तेरा
कल चौदहवीं की रात थी
।।।।

बेशक उसीका दोष है
कहता नहीं खामोश है
तुआप कर ऐसी दावा
बीमार हो अच्छा तेरा

हम पर ये सख्ती की नज़र
हम है फकीर-ऐ-रहगुज़र
रस्ता कभी रोक तेरा
दामन कभी थामा तेरा

बेदर्द सुन्नी है तो चल
कहता है क्या अच्छी ग़ज़ल
आशिक तेरा, रुसवा तेरा
शायर तेरा, इंशा तेरा
कल चौदहवीं की रात थी।।।।।।।।।।।।



Credits
Writer(s): Ghulam Ali
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