Challiya

तो भई बात कहाँ से
कि हमारे सूर्यकवि
पंडित लख्मीचंद सांग कर रे
सांग चल रहा था
रोड के ऊपर सांग होण लाग रहा
उस रोड से एक कार गुजरी
कार म कौण?
एक लड़की

तेरी झाँकी की माह गोला मारु
बाट गोफियां सण का
एक निशाना चूकण दूँ ना
मैं छलिया बालकपण का

तेरी झाँकी की माह गोला मारु
बाट गोफियां सण का
एक निशाना चूकण दूँ ना
मैं छलिया बालकपण का

हेरै काले काले केश तेरे
जणू छा री घटा पटेरे पै
ढुंगे ऊपर चोटी काली
जणू लटकै नाग मंडेरे पै

घणी देर म नजर गयी
तेरे चन्द्रमा से चेहरे पै
सब बातां नै भूल गया
इब सांग करूँगा तेरे पै

मैं ख़ास सपेरा तू नागिण काली
मैं ख़ास सपेरा तू नागिण काली
ज़हर दिख रया फण का

एक निशाना चूकण दूँ ना
मैं छलिया बालकपण का
एक निशाना चूकण दूँ ना
मैं छलिया बालकपण का

काली जुत्ती काला जम्फरर
काला टिल ठोड़ी के नीचै
काला सुरमा आंख्या के म
बन्दे नै जो लावै पीछै
धरती निचे तै या फेर तू
आसमान के पीछे तै
जित तै भी तू आई है
छोरी नहीं तबाही है

तेरा हुसन कसम यो तोड़ है
तू असली सौ का जोड़ है
और सही चीज पै कर री है
तेरे अंदर जो मरोड़ है
तेरा कदम य आगै टेकणा
जुल्फा का जाल फेकणा
और आग लगा दे बन्दे म
तेरा नीचै ही नीचै देखणा

तू अमनराज पै कर दे ध्यान
मासूम शर्मा की ले मान
घुसपैठ माहरे दिल पै करगे
नैन ये तेरे तालिबान

छाती खिचमा पेट सुकड़म
आंख मृग की ढाल परी
तौर कसूता काढै सै यो
किसे माणस का काल परी

नाक सुआं सा मुँह बटुआ सा
होंठ पान तै लाल परी
नु सोचैगी लख्मीचंद का
करकै दुनिया ख्याल परी
करकै दुनिया ख्याल परी

मेरा गाम सै सिरसा जाटी रै
गाम सै सिरसा जाटी
मैं सूं चेला मान सिंह ब्राह्मण का

एक निशाना चूकण दूँ ना
मैं छलिया बालकपण का



Credits
Writer(s): Amanraj Gill
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