Mushkil Badi

तुम, तुम तो बस तुम हो तुम्हारी कोई बात और है
मैं खिंचा चला आता हूँ मुझ पे ना कोई ज़ोर है

हो, तुम, तुम तो बस तुम हो तुम्हारी कोई बात और है
मैं खिंचा चला आता हूँ मुझ पे ना कोई ज़ोर है
तुझे जहाँ से में छुपा लूँ कहीं
ओ तेरे संग घर बना लूँ कहीं

अब दिल मेरा कहीं लगता नहीं
ओ, तेरे बिन है मुश्किल बड़ी
अब दिल मेरा कहीं लगता नहीं
ओ, तेरे बिन है मुश्किल बड़ी

ये शाम हसींन है लेकिन ये मुझें रास आती नहीं
जो तूँ दूर बैठी हैं, क्यूँ मेरे पास आती नहीं?
ये शाम हसींन है लेकिन ये मुझें रास आती नहीं
जो तूँ दूर बैठी हैं, क्यूँ मेरे पास आती नहीं?

तेरी नज़र से दूर ना हो जाऊँ कहीं
इस भीड़ मैं ना खो जाऊँ कहीं

अब दिल मेरा कहीं लगता नहीं
ओ, तेरे बिन है मुश्किल बड़ी
अब दिल मेरा कहीं लगता नहीं
ओ, तेरे बिन है मुश्किल बड़ी
(ha!) हो...
हो...



Credits
Writer(s): Gajendra Verma
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