Qanoon

मेरी एक गुज़ारिश है क़ानून बनाने वालों से
मेरी एक गुज़ारिश है क़ानून बनाने वालों से
अब तक मुद्दे बिगड़े ही हैं आफ़त और वबालों से
मेरी एक गुज़ारिश है क़ानून बनाने वालों से

बहुत से ऐसे वाक़यात जो पहली बार ही होते हैं
बहुत से ऐसे हादसात जो पहली बार ही होते हैं
बहुत से ऐसे वाक़यात जो पहली बार ही होते हैं
बहुत से ऐसे हादसात जो पहली बार ही होते हैं

उन में ग़लत-सही अब कैसे साबित करें हवालों से?
मेरी एक गुज़ारिश है क़ानून बनाने वालों से
अब तक मुद्दे बिगड़े ही हैं आफ़त और वबालों से
मेरी एक गुज़ारिश है क़ानून बनाने वालों से

खेल ज़िंदगी के ना जीते गए कभी चालाकी से
ना ही ज़्यादा कम-दिलियों से और ना ही बेबाकी से
खेल ज़िंदगी के ना जीते गए कभी चालाकी से
ना ही ज़्यादा कम-दिलियों से और ना ही बेबाकी से

ये बाज़ी पेचीदा है शायद शतरंज की चालों से
मेरी एक गुज़ारिश है क़ानून बनाने वालों से
अब तक मुद्दे बिगड़े ही हैं आफ़त और वबालों से
मेरी एक गुज़ारिश है क़ानून बनाने वालों से

यूँ तो चाहे खूब रिसाले छापो और मज़मून लिखो
हल्ला करके अख़बारों से चाहे फिर क़ानून लिखो
यूँ तो चाहे खूब रिसाले छापो और मज़मून लिखो
हल्ला करके अख़बारों से चाहे फिर क़ानून लिखो

हल तो आख़िर निकलेंगे बुनियादी असल सवालों से
मेरी एक गुज़ारिश है क़ानून बनाने वालों से
अब तक मुद्दे बिगड़े ही हैं आफ़त और वबालों से
मेरी एक गुज़ारिश है क़ानून बनाने वालों से

वैसे तो 'गर सोचें तो सब काग़ज़ के फ़रमान ही हैं
क़ुव्वत हैं महदूद क्योंकि मुंसिफ़ भी इंसान ही हैं
वैसे तो 'गर सोचें तो सब काग़ज़ के फ़रमान ही हैं
क़ुव्वत हैं महदूद क्योंकि मुंसिफ़ भी इंसान ही हैं

ख़ून टपकता देखा है इंसाफ़ के बुत की गालों से
मेरी एक गुज़ारिश है क़ानून बनाने वालों से
अब तक मुद्दे बिगड़े ही हैं आफ़त और वबालों से
मेरी एक गुज़ारिश है क़ानून बनाने वालों से

पलक झपकते दुनियाँ बदले, ऐसा हुआ, ना होगा भी
ज़िम्मेदार बराबर के हैं, सदर भी और दरोग़ा भी
पलक झपकते दुनियाँ बदले, ऐसा हुआ, ना होगा भी
ज़िम्मेदार बराबर के हैं, सदर भी और दरोग़ा भी

ज़रा-ज़रा से फ़र्क पड़ेंगे इन Sartaaj, ख़यालों से
मेरी एक गुज़ारिश है क़ानून बनाने वालों से
अब तक मुद्दे बिगड़े ही हैं आफ़त और वबालों से
मेरी एक गुज़ारिश है क़ानून बनाने वालों से

अब तक मुद्दे बिगड़े ही हैं आफ़त और वबालों से
मेरी एक गुज़ारिश है क़ानून बनाने वालों से
मेरी एक गुज़ारिश है क़ानून बनाने वालों से



Credits
Writer(s): Satinder Sartaaj
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