Ghaltiyaan

कैसे सुबह कहूँ इसे? जब मैं सोया नहीं
रात की बातें, हैं अब भी यहीं

क्यूँ ऐसा होता है?
मैं समझा नहीं
एक वादा निभाना तो
इतना मुश्क़िल नहीं

ग़लतियाँ सभी से होती हैं
अगर मैं एक ग़लती हूँ
तो भुला दो मुझे

लगता है बचपन में
खिलौनों से खेली हो
पर मेरा दिल तो
खिलौना नहीं

एक पल की फ़िकर कर के
अगले पल क़दर नहीं
पल भर में बदलती हो
पर मैं तो हूँ यहीं

ग़लतियाँ सभी से होती हैं
अगर मैं एक ग़लती हूँ
तो भुला दो मुझे

तो मिटा दो मुझे
तो भुला दो मुझे
तो मिटा दो मुझे



Credits
Writer(s): Vic Ali
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